Kahe Lacchhman Komal Bani

लक्ष्मण
कहे लछमन कोमल बानी
सुन परशुराम अभिमानी || टेक ||
हम बालकपन में भारे | कई धनुष तोड़कर डारे जी |
क्या शंकर चाप कहानी || सुन———–
कुछ शत्रु नाश कराई | तुम फूल गए मन माही जी |
कोई मिला न वीर सुनाई || सुन—————-
मैं विप्र जान शरमाऊँ | नहि यम घर आज पठआऊँ जी |
क्या झूठी हठ तुम ठानी || सुन——–
यह रामचंद्र भगवाना | जिन तोड़ा धनुष पुराना |
ब्रम्हानंद समझ मुनि ज्ञानी || सुन——————-