
hartalika teej 2022
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल तृतीया को मनाए जाने वाले हरतालिका तीज व्रत हिंदू धर्म के कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस व्रत में सुहागिनें तथा कुंवारी कन्याएं पूरे श्रद्धापूर्वक व्रत रखकर इस पर्व को उत्साहपूर्वक मनाती है।
यह दिन शिव-पार्वती के पूजन के साथ ही श्री गणेश के पूजन के लिए भी खास माना जाता है। हरतालिका तीज की यह व्रतकथा अखंड सुहाग का वरदान देने वाली मानी जाती है। इस वर्ष यह व्रत दिन सोमवार, 18 सितंबर 2023 को किया जाएगा।
इस दिन सुहागिनें निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना रखती हैं। यह व्रत निराहार और निर्जला रहकर किया जाता है। हरतालिका तीज पर्व की मान्यता के अनुसार इस व्रत में सुहागिनें सुबह से लेकर अगले दिन सुबह सूर्योदय तक जल ग्रहण तक नहीं करती यानी 24 घंटे तक बिना अन्न-जल के सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रहती हैं। यह पर्व मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार के साथ ही कई राज्यों में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है।
हरतालिका तीज व्रत कथा : hartalika teej story
हरतालिका तीज की यह पौराणिक कथा शिव जी ने ही मां पार्वती को सुनाई थी। इसी कथा में मां पार्वती को उनका पिछला जन्म याद दिलाया था।
‘हे गौरा, पिछले जन्म में तुमने मुझे पाने के लिए बहुत छोटी उम्र में कठोर तप और घोर तपस्या की थी। तुमने ना तो कुछ खाया और ना ही पीया बस हवा और सूखे पत्ते चबाए। जला देने वाली गर्मी हो या कंपा देने वाली ठंड तुम नहीं हटीं। डटी रहीं। बारिश में भी तुमने जल नहीं पिया। तुम्हें इस हालत में देखकर तुम्हारे पिता दु:खी थे।
उनको दु:खी देख कर नारद मुनि आए और कहा कि मैं भगवान् विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं। वह आपकी कन्या की से विवाह करना चाहते हैं। इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूं।
’नारद जी की बात सुनकर आपके पिता बोले अगर भगवान विष्णु यह चाहते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं। परंतु जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम दुःखी हो गईं। तुम्हारी एक सहेली ने तुम्हारे दुःख का कारण पूछा तो तुमने कहा कि मैंने सच्चे मन से भगवान् शिव का वरण किया है, किंतु मेरे पिता ने मेरा विवाह विष्णु जी के साथ तय कर दिया है। मैं विचित्र धर्मसंकट में हूं। अब मेरे पास प्राण त्याग देने के अलावा कोई और उपाय नहीं बचा। तुम्हारी सखी बहुत ही समझदार थी।
उसने कहा- प्राण छोड़ने का यहां कारण ही क्या है? संकट के समय धैर्य से काम लेना चाहिए। भारतीय नारी के जीवन की सार्थकता इसी में है कि जिसे मन से पति रूप में एक बार वरण कर लिया, जीवनपर्यंत उसी से निर्वाह करें। मैं तुम्हें घनघोर वन में ले चलती हूं जो साधना स्थल भी है और जहां तुम्हारे पिता तुम्हें खोज भी नहीं पाएंगे। मुझे पूर्ण विश्वास है कि ईश्वर अवश्य ही तुम्हारी सहायता करेंगे…
तुमने ऐसा ही किया। तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुःखी हुए। इधर तुम्हारी खोज होती रही उधर तुम अपनी सहेली के साथ नदी के तट पर एक गुफा में मेरी आराधना में लीन रहने लगीं। तुमने रेत के शिवलिंग का निर्माण किया। तुम्हारी इस कठोर तपस्या के प्रभाव से मेरा आसन हिल उठा और मैं शीघ्र ही तुम्हारे पास पहुंचा और तुमसे वर मांगने को कहा, तब अपनी तपस्या के फलीभूत मुझे अपने समक्ष पाकर तुमने कहा, ‘मैं आपको सच्चे मन से पति के रूप में वरण कर चुकी हूं। यदि आप सचमुच मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर यहां पधारे हैं तो मुझे अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लीजिए।
तब ‘तथास्तु’ कहकर मैं कैलाश पर्वत पर लौट गया। उसी समय गिरिराज अपने बंधु-बांधवों के साथ तुम्हें खोजते हुए वहां पहुंचे। तुमने सारा वृतांत बताया और कहा कि मैं घर तभी जाऊंगी अगर आप महादेव से मेरा विवाह करेंगे। तुम्हारे पिता मान गए औऱ उन्होने हमारा विवाह करवाया।
hartalika teej
इस व्रत का महत्व यह है कि मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मनवांछित फल देता हूं। इस पूरे प्रकरण में तुम्हारी सखी ने तुम्हारा हरण किया था इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत हो गया। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली महिलाएं माता पार्वती के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं।