
जय श्री राम भजन
1. ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां लिरिक्स
ठुमक चलत रामचंद्र
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां
किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय,
धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां
अंचल रज अंग झारि विविध भांति सो दुलारि,
तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियां,
विद्रुम से अरुण अधर बोलत मुख मधुर मधुर,
सुभग नासिका में चारु लटकत लटकनियां,
तुलसीदास अति आनंद देख के मुखारविंद
रघुवर छबि के समान रघुवर छबि बनियां,
2.जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री लिरिक्स
जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री ,
दो सब को ये पैगाम घर घर जाओ री
कौशल्या रानी को सब दो बधाई,
माता केकई को सब दो बधाई,
माता सुमित्रा को सब दो बधाई,
आई रे बड़ी शुभ घड़ी आई,
देखो प्रगटे है चारो लाल मन हर्षायो री
सारे नगर में बाजे बधाई,
आज अयोद्या में बजे बधाई,
आई रे बड़ी शुभ घड़ी आई ,
सावन की जैसे बरसा छाई,
पावन है दिन का भाग, दिप झलाओ री
बँधन बार बंधाओ घर घर मे,
देव ऋषि हरसे अम्बर में,
भक्तो के पुराण काम खुशिया मनाओ री,
जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री
जन्मे अवध में राम मंगल गाओ री
3. बाजे अयोध्या में बधाई देखो जन्मे प्रभु राम लिरिक्स
बाजे अयोध्या में बधाई,
देखो जी देखो जन्मे प्रभु राम,
भाग जागे रे अवध के रे छाई,
देखो मुखड़े पे सबके मुस्कान।
खुशियों की बेला देखो कैसे आज आई रे,
नाँच रही झूमे देखो,
कौशल्या माई रे,
करो नज़र उतराई गाओ री गाओ,
सखियों मंगल गान
बांटो घर घर में मिठाई,
सब नाचो छेड़ो भाई,
आज नई तान
भाग जागे रे अवध के रे छाई,
देखो मुखड़े पे सबके मुस्कान।
ब्रह्मा विष्णु शिव देखो,
बलिहारी जाते हैं,
देव ऋषि सारे फूल बरसाते हैं,
नारद ने वीणा है बजाई,
देखो जी होगा सबका कल्याण,
दशरथ फूले ना समाये रहे मोती,
रे लुटाये अब रोशन होगा नाम,
भाग जागे रे अवध के रे छाई,
देखो मुखड़े पे सबके मुस्कान।
राम जी के रुप में नारायण,
जी ही आये हैं,
धरम की रक्षा का प्राण लेके आये हैं
असुरों का नाश करने आये हैं,
बचाने साधु संतो का मान
अपनी ललना पे बलिहारी जाए,
करते सब प्रभु पे ही अभिमान
भाग जागे रे अवध के रे छाई,
देखो मुखड़े पे सबके मुस्कान।
4. भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी लिरिक्स
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी,
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी,
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी .
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी,
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता .
माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता,
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता,
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयौ प्रकट श्रीकंता,
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै,
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै,
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै,
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै,
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा,
कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा,
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा,
यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते न परहिं भवकूपा,
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी ॥
लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी ।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी ॥
कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता ।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता ॥
करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता ॥
ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै ।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै ॥
उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥
माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा ।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूपा ॥
सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूपा ॥
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी ॥
5. राम दशरथ के घर जन्मे घराना लिरिक्स
राम दशरथ के घर जन्मे, घराना हो तो ऐसा हो
लोक दर्शन को चले आये, सुहाना हो तो ऐसा हो
यज्ञ के काम करने को,मुनीश्वर ले गये वन मे,
उड़ाये शीश देत्यों के, निशाना हो तो ऐसा हो
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
धनुष को जानकर तोड़ा,जनक की राजधानी में,
फूल सब मन में शर्माए,लजाना हो तो ऐसा हो
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
पिता की मानकर आज्ञा,राम बन को चले आये,
न छोडा संग सीता ने, जनाना हो तो ऐसा हो,
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
सिया को ले गया रावण, बनाकर भेष जोगी का,
कराया नाश सब अपना, दीवाना हो तो ऐसा हो,
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
प्रित सुग्रीव से करके, गिराया बाण से बाली,
दिलाई नार फिर उसकी, यराना हो तो ऐसा हो,
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
गया हनुमान सीता की, खबर लेने को लंका में,
जलाकरके नगर आया, हराना हो तो ऐसा हो,
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
बान्ध सेतु समुंदर में, उतारा पार सेना को,
मिटाया वंश रावण का, हराना हो तो ऐसा हो,
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
राम दशरथ के घर जन्में, घरानां हो तो ऐसा हो,
राज्य देकर विभिशण को, अयोध्या लौटकर आये,
कहे ब्रह्मानंद बल अपना, दिखाना हो तो ऐसा हो,
राम दशरथ के घर जन्मे, घराना हो तो ऐसा हो
लोक दर्शन को चले आये, सुहाना हो तो ऐसा हो
राम दशरथ के घर जन्मे, घराना हो तो ऐसा हो