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श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी
Somvati Amavasya 2024 in April
Somvati Amavasya 2024: चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि बेहद खास है. इस साल चैत्र मास की अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ रही है. जिसके कारण यह अमावस्या सोमवती अमावस्या होगी. इस दिन सुहागन महिलाएं सोमवती अमावस्या का व्रत रखकर शिव और गौरी की पूजा करती हैं. अमावस्या का दिन पूरी तरह से पितरों की पूजा के लिए समर्पित है. इस दिन किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. हालांकि यह दिन गंगा नदी में पवित्र स्नान, पितृ तर्पण, पितृ पूजा, पिंड दान, और ब्राह्मणों को भोजन आदि कराने के लिए शुभ माना जाता है.
कब है सोमवती अमावस्या 2024
चैत्र मास की अमावस्या 8 अप्रैल दिन सोमवार को है. इसलिए उस दिन सोमवती अमावस्या है. चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 8 अप्रैल को तड़के 03 बजकर 11 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि उस दिन ही रात 11 बजकर 50 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को है. इस दिन स्नान दान के लिए शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 32 मिनट से 05 बजकर 18 मिनट तक है. ब्रह्म मुहूर्त से आप सोमवती अमावस्या का स्नान और दान कर सकते हैं, इस दिन अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 06 बजकर 03 मिनट से सुबह 07 बजकर 38 मिनट तक है.
सोमवती अमावस्या पर बन रहा इंद्र योग
सोमवती अमावस्या के दिन इंद्र योग और उत्तरभाद्रपद नक्षत्र है. इंद्र योग 8 अप्रैल को सुबह से लेकर शाम 06 बजकर 14 मिनट तक है. वहीं उत्तर भाद्रपद नक्षत्र सुबह से लेकर 10 बजकर 12 मिनट तक है, उसके बाद से रेवती नक्षत्र शुरू होगा. इंद्र योग को शुभ और सुख-सुविधाओं में वृद्धि वाला माना जाता है.
सोमवती अमावस्या का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अमावस्या का दिन बहुत शक्तिशाली होता है. यह दिन चंद्रमा की पूजा के लिए समर्पित है. इस दिन चंद्रमा अपने अस्त काल में होता है. यदि आपकी जन्म कुंडली में चंद्रमा खराब स्थिति में है, तो यह निश्चित रूप से आपकी भावनाओं और संवेदनाओं को प्रभावित करता है. अमावस्या के दिन चंद्रमा को जल चढ़ाने और भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखकर शिव और पार्वती की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं और पाप से मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं. सोमवती अमावस्या पर स्नान और दान करने से पितर खुश होते हैं. तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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